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2020 BRICS Summit

 2020 का 12वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन मेजबान देश रूस में वर्चुअली आयोजित हुआ। ब्रिक्स में पांच देश ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। 2020 ब्रिक्स सम्मेलन की थीम- ' वैश्विक स्थिरता, साझा सुरक्षा और अभिनव विकास। ब्रिक्स स्थापना वर्ष - 2006 शुरुआत में इसमें चार देश ब्राजील, रूस, भारत और चीन ही शामिल थे। 2010 में इसमें दक्षिण अफ्रीका भी सम्मिलित हो गया । 2019 में 11वां ब्रिक्स सम्मेलन ब्राजील के ब्राजीलिया में आयोजित हुआ था।  2021 में ब्रिक्स सम्मेलन के 13 वें संस्करण की मेजबानी अपने देश भारत को मिली है। 
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अज्ञेय के भाषा उद्धरण

  भाषा -  1. हिन्दी परम्परा से विद्रोह की भाषा रही है। प्रारम्भिक काल से ही हिन्दी- रचना का एक बहुत बड़ा अंश न्यूनाधिक संगठित वर्गों द्वारा किसी न किसी प्रवृत्ति के विरोध की अभिव्यक्ति रहा है। यह विरोध का स्वर सदैव प्रगति का स्वर रहा हो, ऐसा नही है, कभी - कभी यह स्वर परिवर्तन के विरोध ; प्रतिक्रिया का जीर्णपरम्परा अथवा पुराने विशेषाधिकारों की रक्षा की भावना से प्रेरित संकीर्णता का स्वर भी रहा। 2. एक विदेशी भाषा मे आने भाव को छिपा लेना अधिक सहज है। अपनी भाषा का अपनापन हमें अपना हृदय खोल देने को खामखाह विवश कर देता है। 3. सरकारी कामकाज के लिए भाषा एक होनी चाहिए मगर साहित्यिक अभिव्यक्ति के लिए हर लेखक को अपनी मातृभाषा का व्यवहार करना चाहिए। 4. भारत की आधुनिक भाषाओं में हिंदी ही सच्चे अर्थों में सदैव भारतीय भाषा रही है, क्योंकि वह निरंतर भारत की एक समग्र चेतना को वाणी देने का चेतन प्रयास करती रही है। 5. भाषा कल्पवृक्ष है। जो उस से आस्थापूर्वक मांगा जाता है, भाषा वह देती है। उस से कुछ मांगा ही न जाये, क्योंकि वह पेड़ से लटका हुआ नहीं दीख रहा है, तो कल्पवृक्ष भी कुछ नहीं देता। 6. ज्ञान के द्वा

भगवती चरण वर्मा : चित्रलेखा

  1. मनुष्य अनुभव प्राप्त नहीं करता , परिस्थितियां मनुष्य को अनुभव प्राप्त कराती हैं। 2. यदि कोई अमर है तो अजन्मा भी है। जहां सृष्टि है, वहां प्रलय भी रहेगा। आत्मा अजन्मा है, इसलिए अमर है, पर प्रेम अजन्मा नहीं है, किसी व्यक्ति से प्रेम होता है तो उस स्थान पर प्रेम जन्म लेता है। संबंध होना ही उस संबंध का जन्म लेना है वह संबंध अनंत नही है। कभी न कभी उस संबंध का अंत होगा ही। 3. प्रेम और वासना में भेद केवल इतना है कि वासना पागलपन है और प्रेम गंभीर है। 4. क्या बिना भोग-विलास के प्रेम असंभव है? मैं तुमसे इस समय केवल शारीरिक संबंध तोड़ रही हूं: इसकी अपेक्षा हमारा आत्मिक संबंध और दृढ़ हो जाएगा। 5.अपराध कर्म में होता है, विचार में नहीं। 6. उन्माद अस्थाई होता है , और ज्ञान स्थाई। 7. प्रकृति के अपूर्ण  होने के कारण ही मनुष्य ने कृत्रिमता की शरण ली है। 8. प्रेम आत्मा से होता है, शरीर से नहीं।

पारुल पुखराज : कुछ कविताएं

1. ना जाने का अभाव कहीं जा कर लौटने की याद इतनी ताजा निराश नहीँ करती अब न जाने का अभाव हमेशा न जा पाने की विकलता पाती है शरण बार-बार  लौट आने के स्मृति में दरवाजा खोल अंदर आने में  बाहर निकलने की याद घुल  चुकी दरवाजा बंद कर लौटना  बार-बार जाने के बाद ही हुआ संभव मगर लौटने की याद इतनी ताजा  कि बस... 2. कुछ भी इतना पैना कहाँ समय यह बीहड़  कटेगा नहीं धैर्य से भी नहीं संसार मे कुछ भी इतना पैना कहां काट सके भेद सके आर-पार जो इसे ग्रीष्म की धूप सा चिलचिलाता सोख रहा जीवन रस समय यह जड़ है थिर अंगद का पाँव

Anna burns

 Milk man by the Anna Burns (2018 में मान बुकर प्राप्त उपन्यास) अनुवाद : अनुपमा ऋतु/ उपमा ऋतु कुछ अंश... अ ट्ठारह की उम्र में मुझे उन तौर-तरीकों का पता ना था, जिनसे अतिक्रमण किया जाता है। उनको लेकर मेरे मन मे एक अहसास था। एक सहज आभास। कुछ परिस्थितियों और कुछ लोगों के प्रति जुगुप्सा जैसा भाव था मेरे मन में, लेकिन मैं नही जानती थी कि आभास और जुगुप्सा के भाव भी संचित होते हैं।         मैं नहीं जानती थी कि मुझे नापसंद करने का अधिकार है। कि मैं पास आने वाले किसी भी आदमी को या हर आदमी को बर्दाश्त करने के लिए नहीं बनी हूँ। इस बुक को आप नीचे दिए गए link पर जाकर भी खरीद सकते हैं। Gwala ( Milkman Hindi translation) https://www.amazon.in/dp/9388707281/ref=cm_sw_r_cp_apa_i_Zz3rFb8A0YMZH

कुछ कविताएं : संजय कुंदन

1 ये साधारण लोगों की पराजय की कहानियां हैं जब टीवी के पर्दे पर खुलते हैं जुर्म के पन्ने  अक्सर दिखता है कमजोर आदमी ही मुजरिम की जगह नज़र आता है एक छोटा शहर या कस्बा एक मलिन बस्ती, टेढ़ी-मेढ़ी गालियां पुराने मकान के छप्पर कबूतरों के दड़के और हैंड पम्प इनमे जो अपराधी दिखता है वह तो खुद ही मर चुका होता है किसी की जान लेने से पहले नहीं दिखाया जाता उसका मरना बार-बार मरना रोज-रोज ,थोड़ा -थोड़ा मरना। 2 उन्हें पसंद था एक तितली को मुट्ठी में बंद कर उसे फड़फड़ाते देखना वे पूरी दुनिया को अपने अस्तबल की तरह देखते थे वे घोड़ों से ज्यादा आदमी को हांकना पसंद करते थे वे पूरी धरती में अपना वीर्य रोपना चाहते थे उन्होंने ही रची थी दंड संहिताएँ उन्होंने ही नियुक्त किये थे न्यायाधीश और संतरी उन्होंने ही बनाएं थे अपराधी।

निर्मला पुतुल की कविता

  मैंने आंगन में गुलाब लगाए इस उम्मीद से की उसमें फूल खिलेंगे लेकिन अफसोस ,कि उसमे कांटे ही निकले मैं सींचती रोज सुबह-शाम और देखती रही उसका तेजी से बढ़ना। वछ तेजी से बढ़ा भी पर उसमे फूल नहीं आए वो फूल जिसमे मेरे सपने जुड़े थे जिससे मैं जुड़ी थी उसमे फूल का नहीं आना मेरे सपनों का मर जाना था  एक दिन लगा कि मैं इसे उखाड़कर फेंक दूं पर सोचती हूँ क्या बार -बार उखाड़ कर फेंक देने और उसकी जगह नए फूल लगा देने से क्या मेरी जिंदगी के सारे कांटे निकल जाएंगे? हकीकत तो यह है कि  चाहे जितने फूल बदल दे हम लेकिन कुछ फूल की नीयत ही ऐसी होती है जो फूल की जगह कांटे लेकर आते हैं शायद मेरे आंगन में लगा गुलाब भी कुछ ऐसा ही है मेरी जिंदगी के लिए...।