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भगवती चरण वर्मा : चित्रलेखा

 






1. मनुष्य अनुभव प्राप्त नहीं करता , परिस्थितियां मनुष्य को अनुभव प्राप्त कराती हैं।


2. यदि कोई अमर है तो अजन्मा भी है। जहां सृष्टि है, वहां प्रलय भी रहेगा। आत्मा अजन्मा है, इसलिए अमर है, पर प्रेम अजन्मा नहीं है, किसी व्यक्ति से प्रेम होता है तो उस स्थान पर प्रेम जन्म लेता है। संबंध होना ही उस संबंध का जन्म लेना है वह संबंध अनंत नही है। कभी न कभी उस संबंध का अंत होगा ही।


3. प्रेम और वासना में भेद केवल इतना है कि वासना पागलपन है और प्रेम गंभीर है।


4. क्या बिना भोग-विलास के प्रेम असंभव है? मैं तुमसे इस समय केवल शारीरिक संबंध तोड़ रही हूं: इसकी अपेक्षा हमारा आत्मिक संबंध और दृढ़ हो जाएगा।


5.अपराध कर्म में होता है, विचार में नहीं।


6. उन्माद अस्थाई होता है , और ज्ञान स्थाई।


7. प्रकृति के अपूर्ण  होने के कारण ही मनुष्य ने कृत्रिमता की शरण ली है।


8. प्रेम आत्मा से होता है, शरीर से नहीं।


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