कविताएं हर एक व्यक्ति को पसंद होती है। ये अलग बात है कि किसी को प्रेम संबंधी तो किसी को ओज और प्रेरणा दायक कविता पसंद होती है। लेकिन अगर हम कहे कि कोई व्यक्ति ऐसा है जिसे कविता बिलकुल भी पसंद नही तो शायद ये कथन असंभव सा होगा।
किसी एक दिन वह आया था
कोई एक दिन रहता था
फिर आएगा किसी एक दिन
किसी गाँव में कुछ दिन
कोई भूल गया था उसको
किसी ने याद किया था।
सौ की गिनती सबको आई
जंगल में था एक शेर
जब अम्मा ने कथा सुनाई
बाकी शेर कितने थे?
बिटिया ने यह बात उठाई
उड़ती चिड़िया को गिनना
तब भी था आसान
जंगल में छुपे घूमते शेरों को
गिनना था कठिन काम
एक शेर सब शेरों जैसा
केवल एक शेर को
यहाँ-वहाँ हर बार
गिना गया था सौ-सौ बार
एक शेर की अम्मा ने भी कथा सुनाई सौ-सौ बार
विनोद कुमार शुक्ल एक ऐसे कवि हैं जिनकी कविताये हर वर्ग का व्यक्ति पसंद करता है । इनकी कवितओं में एक तरफ जहाँ एक निरीह बच्चे का भाव दिखाई देता है तो दूसरी तरफ जीवन के सत्य जन्म और मृत्यु की जटिल अभिव्यंजना भी दिखाई देती है।
कुछ कविताएं~
कौन गाँव का रहने वाला
कहाँ का आदमी कहाँ गयाकिसी एक दिन वह आया था
कोई एक दिन रहता था
फिर आएगा किसी एक दिन
किसी गाँव में कुछ दिन
कोई भूल गया था उसको
किसी ने याद किया था।
सौ की गिनती सबको आई
जंगल में था एक शेर
जब अम्मा ने कथा सुनाई
बाकी शेर कितने थे?
बिटिया ने यह बात उठाई
उड़ती चिड़िया को गिनना
तब भी था आसान
जंगल में छुपे घूमते शेरों को
गिनना था कठिन काम
एक शेर सब शेरों जैसा
केवल एक शेर को
यहाँ-वहाँ हर बार
गिना गया था सौ-सौ बार
एक शेर की अम्मा ने भी कथा सुनाई सौ-सौ बार
कोई अधूरा पूरा नहीं होता
और एक नया शुरू होकर
नया अधूरा छूट जाता
शुरू से इतने सारे
कि गिने जाने पर भी अधूरे छूट जाते
परंतु इस असमाप्त –
अधूरे से भरे जीवन को
पूरा माना जाए, अधूरा नहीं
कि जीवन को भरपूर जिया गया
इस भरपूर जीवन में
मृत्यु के ठीक पहले भी मैं
एक नई कविता शुरू कर सकता हूं
मृत्यु के बहुत पहले की कविता की तरह
जीवन की अपनी पहली कविता की तरह
किसी नए अधूरे को अंतिम न माना जाए ।
और एक नया शुरू होकर
नया अधूरा छूट जाता
शुरू से इतने सारे
कि गिने जाने पर भी अधूरे छूट जाते
परंतु इस असमाप्त –
अधूरे से भरे जीवन को
पूरा माना जाए, अधूरा नहीं
कि जीवन को भरपूर जिया गया
इस भरपूर जीवन में
मृत्यु के ठीक पहले भी मैं
एक नई कविता शुरू कर सकता हूं
मृत्यु के बहुत पहले की कविता की तरह
जीवन की अपनी पहली कविता की तरह
किसी नए अधूरे को अंतिम न माना जाए ।
कविता संग्रह-
लगभग जयहिंद ' ,' वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह' वर्ष, ' सब कुछ होना बचा रहेगा ' अतिरिक्त नहीं , कविता से लंबी कविता ', ' आकाश धरती को खटखटाता है ' ' कभी के बाद अभी '
विनोद कुमार शुक्ल की कविताओं को आप नीचे दिये link पर जाकर भी आसानी से खरीद सकते हैं
Nice
ReplyDeleteapka collection rare h.. keep it up
ReplyDeleteThank u
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