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हिंदी साहित्य में गांधीवादी विचारधारा

दक्षिण अफ्रीका के प्रवासी जीवन में गांधी जी ने देश के सहस्त्रों गरीब, अनपढ़, बेरोजगार मजदूरों को जो गिरमिट (एग्रीमेंट) पर दक्षिण अफ्रीका पहुंचे थे, उन्हें स्वयं के अधिकारों के प्रति जागरूक करने एवम मनुष्य की भांति जीवन-यापन करने योग्य बनाने के लिए, कलम को क्रांति के सशक्त हथियार के रूप में ऊर्जायुक्त किया। प्रवासी जीवन के प्रत्येक क्षण में उन्हें विदेशियों द्वारा अपमान एवम भारतीय होने के कारण तिरस्कृत दृष्टि से देखा गया। उन्हें ट्रेन से भारतीय होने के कारण नीचे फेंक दिया गया। यह घटना सिर्फ गांधी जी के साथ घटित हुई हो ऐसा नही था अपितु उन समस्त नागरिकों ने इन यन्त्रणाओं को भोगा, जो भारतीय थे और गिरमिट पर दक्षिण अफ्रीका गए थे। इन घटनाओं के पश्चात भी गांधी जी ने अपने मार्ग में हिंसा रूपी विध्वंसक अस्त्र को नही आने दिया, उन्होंने अपनी बात को समस्त भारतीयों के सामने रखने के लिए और अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए कलम को हथियार बनाया।    एक बार मजिस्ट्रेट ने उन्हें कोर्टरूम में पगड़ी उतारकर प्रवेश करने के लिए कहा तो उनका कथन था-“ मी लॉर्ड यह मेरा फेटा है। हम लोगों के सम्मान का प्...

कुछ बेहतरीन कविताएं

कविताएं हर एक व्यक्ति को पसंद होती है। ये अलग बात है कि किसी को प्रेम संबंधी तो किसी को ओज और प्रेरणा दायक कविता पसंद होती है। लेकिन अगर हम कहे कि कोई व्यक्ति ऐसा है जिसे कविता बिलकुल भी पसंद नही तो शायद ये  कथन असंभव सा  होगा।              विनोद कुमार शुक्ल एक ऐसे कवि हैं जिनकी कविताये हर  वर्ग का व्यक्ति पसंद करता है । इनकी कवितओं में एक तरफ  जहाँ  एक निरीह बच्चे का भाव दिखाई देता है तो दूसरी तरफ जीवन के सत्य जन्म और मृत्यु की  जटिल अभिव्यंजना भी दिखाई देती है।                    कुछ कविताएं~          कौन गाँव का रहने वाला कहाँ का आदमी कहाँ गया किसी एक दिन वह आया था कोई एक दिन रहता था फिर आएगा किसी एक दिन किसी गाँव में कुछ दिन कोई भूल गया था उसको किसी ने याद किया था। सौ की गिनती सबको आई जंगल में था एक शेर जब अम्मा ने कथा सुनाई बाकी शेर कितने थे? बिटिया ने यह बात उठाई उड़ती चिड़िया को गिनना तब भी था आसान जंगल में छुपे घूमते शेरों को गिनना था कठिन क...

अज्ञेय के भाषा उद्धरण

  भाषा -  1. हिन्दी परम्परा से विद्रोह की भाषा रही है। प्रारम्भिक काल से ही हिन्दी- रचना का एक बहुत बड़ा अंश न्यूनाधिक संगठित वर्गों द्वारा किसी न किसी प्रवृत्ति के विरोध की अभिव्यक्ति रहा है। यह विरोध का स्वर सदैव प्रगति का स्वर रहा हो, ऐसा नही है, कभी - कभी यह स्वर परिवर्तन के विरोध ; प्रतिक्रिया का जीर्णपरम्परा अथवा पुराने विशेषाधिकारों की रक्षा की भावना से प्रेरित संकीर्णता का स्वर भी रहा। 2. एक विदेशी भाषा मे आने भाव को छिपा लेना अधिक सहज है। अपनी भाषा का अपनापन हमें अपना हृदय खोल देने को खामखाह विवश कर देता है। 3. सरकारी कामकाज के लिए भाषा एक होनी चाहिए मगर साहित्यिक अभिव्यक्ति के लिए हर लेखक को अपनी मातृभाषा का व्यवहार करना चाहिए। 4. भारत की आधुनिक भाषाओं में हिंदी ही सच्चे अर्थों में सदैव भारतीय भाषा रही है, क्योंकि वह निरंतर भारत की एक समग्र चेतना को वाणी देने का चेतन प्रयास करती रही है। 5. भाषा कल्पवृक्ष है। जो उस से आस्थापूर्वक मांगा जाता है, भाषा वह देती है। उस से कुछ मांगा ही न जाये, क्योंकि वह पेड़ से लटका हुआ नहीं दीख रहा है, तो कल्पवृक्ष भी कुछ नहीं देता। 6. ज्ञा...