हिंदी विषय के लिए सबसे महत्वपूर्ण किताब है -आचार्य रामचंद्र शुक्ल का हिंदी साहित्य का इतिहास। इसके हर पृष्ठ की प्रत्येक पंक्ति बहुत महत्वपूर्ण है। यहां कुछ पंक्तियाँ दी जा रही हैं।
- कबीर का ज्ञान पक्ष तो रहस्य और गुहा की भावना से विकृत मिलेगा पर सूफियों से जो प्रेम तत्व उन्होंने लिया वह सूफियों के यहां चाहे कामवासना ग्रस्त हुआ हो , पर निर्गुण पंथ में अविकृत रहा।
- वैष्णवों की कृष्ण भक्ति शाखा ने केवल प्रेमलक्षणा भक्ति ली ; फल यह हुआ की उसने अश्लील विलसिता की प्रवत्ति जगाई।
- सगुन और निर्गुण के नाम से भक्तिकाव्य की दो धाराएं विक्रम की १५ वीं शताब्दी के अंतिम भाग से लेकर १७ वी शताब्दी के अंत तक सामानांतर चली।
- पद्मावत में प्रेमगाथा की परंपरा पूर्ण प्रौढ़ता को प्राप्त मिलती है.
- शेख्नबी से प्रेमगाथा परंपरा समाप्त समझनी चाहिए।
- प्रेम और श्रृंगार का ऐसा वर्णन जो बिना किसी लज़्ज़ा और संकोच के सबके सामने पढ़ा जा सके , गोस्वामी जी का ही है।
- गीतावली की रचना गोस्वामी जी ने सूरदास जी के अनुकरण पर की है।
- सूर के श्रृंगारी पदों की रचना बहुत कुछ विद्यापति की पद्धत्ति पर हुई है।
- काव्यरीति का सम्यक समावेश पहले पहल आचार्य केशव ने किया।
- भावों का बहुत उत्कृष्ट और उद्दात स्वरुप बिहारी में नहीं मिलता। कविता उनकी श्रृंगारी है, पर प्रेम की उच्च भूमि पर नहीं पहुचतीं, नीचे ही रह जाती है.
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