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Showing posts from June, 2020

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महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में स्थित लोनार झील एक खारे पानी की झील है।  इस झील का निर्माण 52 ,000 साल पहले  उल्का पिंड के पृथ्वी से टकराने के कारण हुआ था।  2007 में इस झील में नाइट्रोजन योगीकरण खोजा  गया था।     मिथकीय एवं ऐतिहासिक  तथ्य  हिंदू धर्मग्रंथों में भी इस झील का वर्णन आया  है।  स्कन्द पुराण में एक कथा है की लोनासुर नामक असुर इस क्षेत्र  में रहता था जिसके अत्याचार से सभी   दुखी थे। देवताओं की विनती करने के बाद भगवान् विष्णु ने एक युवक उत्पन्न किया जिसका नाम दैत्यसूदन रखा।  दैत्यसूदन और लोनासुर   के बीच हुए युद्ध में लोनासुर मारा गया।  जिस मांंद मे  लोनासुर छिपा हुआ था वर्तमान में उसे ही लोनार झील कहा  जाता है। आईने अकबरी में भी इस झील का उल्लेख हुआ है।     1823  में ब्रिटिश अधिकारी जे.इ,अलेक्सेंडर पहले यूरोपीय थे जिन्होंने इस झील का पता लगाया था।  लोनार झील का भौगोलिक महत्व  इस झील  में बड़ी संख्या में अनेक जीव और वनस्पतिया पाई जाती हैं।  1979 में इस झील को भौगोलिक विरासत का दर्जा दिया था।   2015 में इस  क्षेत्र के 3. 83  sq. ft  के भाग को लोनार वर्ल्ड लाइफ सेंचुरी  का दर्जा भ

Urdu Shayar

      शुरुआती जीवन  इंशा का जन्म जालंधर जिले , पंजाब , भारत के फिल्लौर तहसील में हुआ था।   उनके पिता राजस्थान से थे।   1946 में , उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री प्राप्त की और बाद में 1953 में कराची विश्वविद्यालय से एमए किया। वह रेडियो पाकिस्तान , संस्कृति मंत्रालय और पाकिस्तान के राष्ट्रीय पुस्तक केंद्र सहित विभिन्न सरकारी सेवाओं से जुड़े रहे।   1940 के दशक के उत्तरार्ध में , इब्न - ए - इंशा लाहौर में प्रसिद्ध फिल्म कवि साहिर लुधियानवी के साथ भी एक साथ रहे थे।   वे प्रगतिशील लेखक आंदोलन में भी सक्रिय थे।   इब्न - ए - इंशा ने 11 जनवरी 1978 को हॉजकिन के लिम्फोमा से मरने से पहले अपना शेष जीवन कराची में बिताया था , जबकि वह लंदन में थे।   बाद में उन्हें कराची , पाकिस्तान में दफनाया गया। साहित्यिक कैरियर इंशा को उनकी पीढ़ी के सर्वश्रेष्ठ कवियों और लेखकों में से एक माना जाता है।     इब्न - ए - इंशा ने कई यात्रा वृतांत लिखे थे , उनकी कविता के