कविताएं हर एक व्यक्ति को पसंद होती है। ये अलग बात है कि किसी को प्रेम संबंधी तो किसी को ओज और प्रेरणा दायक कविता पसंद होती है। लेकिन अगर हम कहे कि कोई व्यक्ति ऐसा है जिसे कविता बिलकुल भी पसंद नही तो शायद ये कथन असंभव सा होगा। विनोद कुमार शुक्ल एक ऐसे कवि हैं जिनकी कविताये हर वर्ग का व्यक्ति पसंद करता है । इनकी कवितओं में एक तरफ जहाँ एक निरीह बच्चे का भाव दिखाई देता है तो दूसरी तरफ जीवन के सत्य जन्म और मृत्यु की जटिल अभिव्यंजना भी दिखाई देती है। कुछ कविताएं~ कौन गाँव का रहने वाला कहाँ का आदमी कहाँ गया किसी एक दिन वह आया था कोई एक दिन रहता था फिर आएगा किसी एक दिन किसी गाँव में कुछ दिन कोई भूल गया था उसको किसी ने याद किया था। सौ की गिनती सबको आई जंगल में था एक शेर जब अम्मा ने कथा सुनाई बाकी शेर कितने थे? बिटिया ने यह बात उठाई उड़ती चिड़िया को गिनना तब भी था आसान जंगल में छुपे घूमते शेरों को गिनना था कठिन काम एक शेर सब शेरों जैसा केवल एक शेर को यहाँ-वहाँ हर बार गिना गया था सौ-सौ बार एक शेर की अम्मा ने भी कथा सुनाई सौ-सौ बार कोई अधूरा पूरा नहीं
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